
Loan Settlement Process एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जो तब काम आती है जब कोई उधारकर्ता किसी कारणवश अपने लोन की किश्तें समय पर नहीं चुका पाता है। ऐसे में बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित कर देता है और फिर लोन को बंद करने के लिए Settlement का विकल्प सामने आता है। लेकिन यह प्रक्रिया अक्सर लंबी और मुश्किल हो जाती है। इसलिए, इस लेख में हमने समझाया कि इस प्रक्रिया को Fast Track यानी तेज़ और आसान कैसे बनाया जा सकता है।
सबसे पहले, उधारकर्ता को अपनी पूरी आर्थिक स्थिति स्पष्ट रूप से समझनी चाहिए। इसके बाद, बिना किसी बिचौलिए के सीधे बैंक या NBFC से संपर्क करना चाहिए। इससे संवाद तेज़ और स्पष्ट होता है। साथ ही, जरूरी दस्तावेज़ जैसे – बैंक स्टेटमेंट, ID प्रूफ, मेडिकल या नौकरी से निकाले जाने के सबूत पहले से तैयार रखने से प्रक्रिया और भी तेज़ हो जाती है।
इसके अलावा, समझदारी और शांतिपूर्ण तरीके से बैंक से बातचीत (Negotiation) करने से आप कम रकम में भी लोन सेटल कर सकते हैं। जब settlement की राशि तय हो जाए, तो उसका भुगतान समय पर RTGS या ड्राफ्ट से करें और “Settlement Letter” व “No Dues Certificate” ज़रूर लें।
आज के समय में लोग अपने कई ज़रूरी कामों के लिए लोन लेते हैं – जैसे घर खरीदने के लिए, गाड़ी खरीदने के लिए, बच्चों की पढ़ाई के लिए या फिर पर्सनल ज़रूरतों के लिए। बैंक और फाइनेंशियल कंपनियाँ लुभावने ऑफ़र देकर लोन देना आसान बना देती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति के पास लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं होते हैं। नौकरी छूट जाना, मेडिकल इमरजेंसी, बिजनेस में घाटा या अन्य पारिवारिक समस्याएं इसकी वजह बन सकती हैं। ऐसे में लोन की EMI चुकाना मुश्किल हो जाता है और व्यक्ति डिफॉल्टर घोषित हो सकता है।
ऐसी स्थिति में Loan Settlement एक बेहतर विकल्प बनकर सामने आता है। लोन सेटलमेंट का मतलब होता है – बैंक और उधार लेने वाले के बीच एक समझौता, जिसमें उधार लेने वाला बैंक को कुछ तय रकम देकर लोन अकाउंट को बंद कर सकता है। यह रकम आमतौर पर बकाया राशि से कम होती है। इससे बैंक को थोड़ा पैसा वापस मिल जाता है और उधार लेने वाले को भी मानसिक शांति मिलती है।
लेकिन समस्या ये है कि लोन सेटलमेंट का प्रोसेस आसान नहीं होता हैं। इसमें काफी कागज़ी कार्रवाई होती है, बैंक से बातचीत करनी पड़ती है, कई बार मंज़ूरी मिलने में हफ्तों या महीनों का समय लग जाता है। इस कारण कई लोग इस प्रक्रिया को लेकर परेशान हो जाते हैं।
आज के इस लेख में हम आपको यही बताएंगे कि कैसे आप समझदारी और प्लानिंग के साथ लोन सेटलमेंट की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा कर सकते हैं। हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन से दस्तावेज़ पहले से तैयार रखें, बैंक से कैसे बात करें, किन बातों का ध्यान रखें और किन गलतियों से बचें।
यह एक ऐसी वित्तीय प्रक्रिया होती है जिसमें बैंक या वित्तीय संस्था लोन लेने वाले व्यक्ति को पूरी बकाया लोन की राशि को चुकाने के बजाय कम राशि देकर लोन निपटाने का मौका देती है। यह सुविधा उन लोगों के लिए होती है जो किसी कारण से अपना लोन समय पर नहीं चुका पाते हैं और लगातार डिफॉल्ट कर रहे होते हैं।
सेटलमेंट के तहत बैंक एकमुश्त राशि (लंपसम अमाउंट) पर सहमति बना सकता है, जिससे लोन बंद हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि Loan Settlement करने से आपका CIBIL स्कोर प्रभावित हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में मुश्किल हो सकती है। इसलिए, इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।
जब कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लोन की EMI समय पर चुकाने में असमर्थ हो जाता है और लंबे समय तक बकाया राशि जमा हो जाती है, तो बैंक या वित्तीय संस्था Loan Settlement का विकल्प देती है। इसमें बैंक ग्राहक को पूरी बकाया राशि के बजाय रियायती रकम (discounted amount) चुकाने का मौका देता है, जिससे लोन का मामला निपट जाता है।
सेटलमेंट की प्रक्रिया में ग्राहक और बैंक के बीच बातचीत होती है, जहां बैंक इस बात की पुष्टि करता है कि ग्राहक लोन का पूरा भुगतान नहीं कर सकता हैं। इसके बाद, बैंक एक सिंगल-शॉट पेमेंट ऑफर देता है, जो आमतौर पर बकाया लोन राशि से कम होता है। जब ग्राहक इस सहमत राशि का भुगतान कर देता है, तो बैंक लोन को “Settled” के रूप में रिपोर्ट करता है। हालांकि, यह CIBIL स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है क्योंकि इसे “Complete Payment” नहीं माना जाता हैं।
इसलिए, Loan Settlement को अंतिम विकल्प के रूप में ही चुनना चाहिए और अगर संभव हो, तो लोन रीपेमेंट प्लान, लोन री-स्ट्रक्चरिंग या अन्य वित्तीय समाधान पर विचार करना चाहिए ताकि CIBIL Score खराब न हो।
निम्नलिखित दस्तावेजों की जरुरत होती हैं:
अगर आप इसे ऑनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान स्टेप्स को फॉलो करें:
बैंक की वेबसाइट या ऐप पर जाएं
कस्टमर सपोर्ट सेक्शन देखें
सेटलमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म भरें
जरूरी दस्तावेजो को अपलोड करें
सबमिट करें और बैंक की तरफ से जवाब आने का इंतजार करें
बैंक के ऑफर को समझें
भुगतान करें
हालांकि, Loan Settlement और Credit Card Loan Settlement दोनों का उद्देश्य कर्जदार को राहत देना होता है, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी होते हैं।
अंतर के बिंदु | Loan Settlement | Credit Card Loan Settlement |
प्रकार | किसी भी प्रकार के लोन (पर्सनल, होम, कार, एजुकेशन, आदि) का निपटारा | केवल क्रेडिट कार्ड के बकाया राशि का निपटारा |
सेटलमेंट प्रक्रिया | बैंक एकमुश्त राशि को तय करता है, जिसे चुकाने पर लोन सेटल हो जाता है। | क्रेडिट कार्ड कंपनी एक तय की गई राशि पर समझौता करती है। |
CIBIL स्कोर पर प्रभाव | CIBIL स्कोर 50-100 पॉइंट तक गिर सकता है और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है | CIBIL स्कोर पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है, और नए क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल हो सकता है। |
भविष्य में लोन मिलने की संभावना | होम लोन, कार लोन या अन्य लोन प्राप्त करने में समस्या आ सकती है | क्रेडिट कार्ड कंपनियां कार्ड जारी करने से इनकार कर सकती हैं। |
Loan Settlement का आपके CIBIL स्कोर पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब कोई व्यक्ति किसी बैंक या NBFC से लोन लेता है और किसी कारणवश पूरी राशि चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक उसे एक समझौता करने का मौका देता है, जिसे Loan Settlement कहा जाता है।
हालांकि, Loan Settlement और Loan Closure में बहुत बड़ा अंतर होता है। अगर आप अपने लोन की पूरी राशि चुकाकर उसे बंद करते हैं, तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में “Closed” के रूप में दर्ज होता है, जिससे आपका CIBIL स्कोर बेहतर होता है। लेकिन अगर आपने लोन की कुछ राशि बैंक के साथ समझौते के तहत माफ करवा ली है, तो इसे “Settled” के रूप में रिपोर्ट किया जाता है, जो आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है।
अगर आपने लोन सेटल कर लिया है और अब CIBIL स्कोर सुधारना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:
यहां कुछ जरुरी बिंदुओं पर ध्यान देने की जरुरत है, जो आपको सही Loan Settlement सर्विस चुनने में मदद करेंगे:
सर्विस प्रदाता की प्रमाणिकता को चेक करें
सेटलमेंट की सर्विस को लेने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि जिस सर्विस प्रदाता से आप मदद ले रहे हैं, वह वित्तीय संस्थाओं और बैंकों के साथ रजिस्टर्ड और प्रमाणित हो। एक भरोसेमंद सर्विस प्रदाता ही आपको सही मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर सकता है। ऑनलाइन रिव्यू और ग्राहक की फीडबैक देखना एक अच्छा तरीका हो सकता है।
सेवा शुल्क और अन्य खर्चों की भी जांच करें
कई सर्विस प्रदाता सेवा शुल्क भी लेते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि शुल्क ज्यादा न हो और कोई छिपे हुए खर्च न हों। सर्विस प्रदाता से पहले से समझौता करें कि कौन सी सेवाएं मुफ्त हैं और किनके लिए आपको अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
सेटलमेंट प्रक्रिया को समझें
सर्विस प्रदाता द्वारा दी जाने वाली सेटलमेंट की प्रक्रिया को ध्यान से समझें। क्या वे आपकी पूरी स्थिति को समझते हैं और बैंक के साथ बातचीत करने के लिए आपको बेहतर समाधान प्रदान करते हैं? एक अच्छा प्रदाता आपको कागजात और प्रक्रिया से पूरी जानकारी देगा, ताकि आप पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से समझ सकें।
हमारी सेवा के साथ जुड़े
अगर आप भी कर्ज के जाल में फंस गए हैं और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और Loan Settlement का रास्ता अपनाना चाहते है तो आप हमारी Loan Settlement की सेवा के लिए आवेदन कर सकते हैं। हम आपके लोन का सेटलमेंट करने में आपकी सहयता कर्नेगे। इसके साथ ही हम आपको 6 – 8 महीने के अंदर लोन के बोझ से राहत प्रदान करवाते हैं। अगर आपको हमारी सेवा के बारे में और ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी हैं तो आप हमें सपर्क कर सकते हैं।
सेटलमेंट की प्रक्रिया का समय अलग – अलग कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके बैंक या लोन देने वाली संस्था की पॉलिसी, बकाया राशि, और आप दोनों के बीच बातचीत। आमतौर पर यह प्रक्रिया 1 से 3 महीने तक का समय ले सकती है।
सेटलमेंट की प्रक्रिया में सबसे पहला कदम बैंक से बातचीत करना होता है, जहां आप अपनी मुश्किलों और भुगतान की स्थिति के बारें में बैंक को समझाते हैं। इसके बाद, बैंक आपकी स्थिति के आधार पर एक सेटलमेंट का ऑफर देता है। अगर आप उस ऑफर को स्वीकार करते हैं, तो बैंक को तय समय सीमा के भीतर भुगतान करना होता है। फिर बैंक लोन को सेटल के रूप में रिपोर्ट करता है, जो कुछ समय ले सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया में जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही आपके CIBIL स्कोर पर प्रभाव डाल सकता है, इसलिए जल्दी से जल्दी समाधान तलाशना बेहतर रहता है।
अगर आपने किसी बैंक से पर्सनल लोन लिया है और किसी कारणवश उसे पूरी तरह चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो Loan Settlement आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। Loan Settlement का मतलब होता है कि बैंक और उधारकर्ता (लोन लेने वाला व्यक्ति) के बीच एक समझौता होता है, जिसमें बैंक ब्याज या पेनल्टी को कम करके एक निश्चित राशि पर लोन निपटाने के लिए सहमत हो जाता है। जब Loan Settlement पूरा हो जाता है, तो बैंक एक Loan Settlement Letter जारी करता है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि लोनदाता और बैंक के बीच समझौता हुआ है और अब उधारकर्ता पर कोई बकाया नहीं है।
आइए आसान भाषा में इनके बीच का फर्क समझते हैं:
1. परिभाषा (Definition)
2. प्रक्रिया (Process)
3. कर्ज से छुटकारा (Debt Relief)
4. CIBIL स्कोर पर असर
5. लागत और समय (Cost & Time)
इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान होते हैं:
फायदे
नुक्सान
नीचे हम विस्तार से जानेंगे कि यह कैसे किया जा सकता है।
1. सबसे पहले बैंक से संपर्क करें
2. OTS (One-Time Settlement) का प्रस्ताव मांगे
3. सेटलमेंट की डील को लिखित में लें (Settlement Letter/NOC)
4. CIBIL स्कोर पर असर को समझें
5. भविष्य में पुनः डिफॉल्ट से बचें
यहाँ हम आपको step-by-step तरीके से बताएंगे कि कैसे आप इस प्रक्रिया को तेज़ और सरल बना सकते हैं।
सबसे पहले आपको यह जानना ज़रूरी है कि आपने अब तक कितना लोन चुकाया है और कितना बकाया है। इसके लिए आपको निम्नलिखित जानकारी इकट्ठा करनी होगी:
Settlement के लिए बिचौलिए (agents) से बचें और सीधे बैंक के loan recovery या settlement department से संपर्क करें। आप एक written application या email के माध्यम से बात शुरू करें।
बैंक आपसे कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ मांग सकता है, जैसे:
Settlement में negotiation बहुत अहम भूमिका निभाता है। नीचे दिए गए सुझावों को ध्यान में रखें:
जैसे ही बैंक से Settlement Amount तय हो जाए, उसे समय पर RTGS/NEFT या बैंक ड्राफ्ट से चुकाएं। इसके बाद:
Settlement के बाद CIBIL रिपोर्ट में “Settled” लिखा आता है, जो स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके लिए:
अगर मामला कानूनी हो गया है या recovery agent परेशान कर रहे हैं, तो:
आखिर में बात करें तो, Loan Settlement Process को Fast Track करना कोई असंभव काम नहीं है। हाँ, यह ज़रूर सही है कि इस प्रक्रिया में कुछ तकनीकी कदम होते हैं, थोड़ी मेहनत लगती है और धैर्य की भी ज़रूरत होती है, लेकिन अगर आप एक योजनाबद्ध ढंग से काम करें, तो यह रास्ता काफी आसान हो सकता है।
सबसे पहले, आपको अपनी आर्थिक स्थिति की पूरी जानकारी होनी चाहिए – आपने कितना भुगतान किया है, कितना बकाया है और आपके पास कितनी राशि एकमुश्त भुगतान करने के लिए उपलब्ध है। इसके बाद, जैसे ही आप बैंक या NBFC से सीधे संपर्क करते हैं और एक सही उद्देश्य के साथ अपनी बात रखते हैं, तो बैंक भी जल्दी से आपके प्रस्ताव पर विचार करने लगता है।
इसके साथ ही, अगर आप जरूरी दस्तावेज़ पहले से तैयार रखेंगे, तो आपको बार-बार बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इससे समय की भी बचत होगी और निर्णय भी तेज़ी से होगा। वहीं दूसरी ओर, बैंक के साथ सही ढंग से बातचीत (negotiation) करना बहुत ज़रूरी होता है। अगर आप अपनी समस्याओं को साफ़-साफ़ और शांतिपूर्वक समझाते हैं, तो बैंक आपकी बात समझता है और आपको छूट या सुविधाएँ देने को भी तैयार होता है।
Que: Loan Settlement और लोन रिपेमेंट में क्या अंतर है?
Ans: लोन रिपेमेंट का मतलब है पूरे लोन और ब्याज की तय रकम समय पर चुकाना। Loan Settlement का मतलब है कि बैंक कुछ राशि माफ कर देता है और बाकी रकम लेकर खाता बंद कर देता है।
Que: क्या Loan Settlement करने से CIBIL स्कोर पर असर पड़ता है?
Ans: हां, Loan Settlement को CIBIL रिपोर्ट में “Settled” के रूप में दिखाया जाता है, जो भविष्य में आपकी क्रेडिट योग्यता को प्रभावित कर सकता है। इससे स्कोर घट सकता है।
Que: OTS (One Time Settlement) स्कीम क्या है?
Ans: OTS एक ऐसी योजना होती है जिसमें बैंक उधारकर्ता को एक निश्चित राशि एकमुश्त (या निर्धारित किश्तों में) चुकाकर लोन से मुक्त होने का मौका देता है। इसमें कुछ ब्याज या मूलधन माफ किया जा सकता है।
Que: NPA क्या होता है?
Ans: NPA का मतलब होता है Non-Performing Asset, यानी ऐसा लोन जिसकी EMI या ब्याज की किश्तें 90 दिनों (3 महीने) से ज्यादा समय तक नहीं चुकाई गई हैं। ऐसे लोन को बैंक “बुरा लोन” मानते हैं और NPA घोषित कर देते हैं।
Que: क्या NPA घोषित होने के बाद भी लोन चुकाया जा सकता है?
Ans: हां, NPA घोषित होने के बाद भी लोन चुकाया जा सकता है। इसके लिए आप बैंक से संपर्क कर One Time Settlement (OTS) या किश्तो में भुगतान करने की व्यवस्था कर सकते हैं।