
आज के समय में ऑनलाइन ट्रांसएक्शन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो पैसो का भुगतान चेक के माध्यम से करना पसंद करते है। वैसे भी बड़े लेन- देन के लिए चेक का ही इस्तेमाल किया जाता है, ऐसे में आपको बहुत ही सोच समझकर चेक से पेमेंट करनी चाहिए क्युकी चेक भरते समय काफी सावधानी बरतनी पड़ती है जरा सी गलती की वजह से चेक बाउंस हो सकता है और वही चेक बाउंस होने पर आपको जुरमाना भी भरना पड़ सकत है और कुछ मामलो में जेल भी जाना पड़ सकता है।
चाहे कोई बिज़नेस हो या फिर कोई आम ट्रांसएक्शन इन दोनों में ही पैसो का भुगतान करने के लिए चेक का इस्तेमाल करना एक आम बात है। ऐसे में अगर वह चेक बाउंस हो जाता है तो यह एक गंभीर मुद्दा बन सकता है। अब ऐसे में चेक बाउंस हो जाता है तो क्या करना चाहिए? चेक बाउंस से जुड़ा कोनसा कानून है?
इस लेख में हम चेक बाउंस के विषय के बारे में बात करेंगे और जानेंगे की एनआई अधिनियम 1881 की धारा 138 क्या है?
यानी की जब चेक बाउंस का मुद्दा सामने आता है तो कौनसी पार्टीज उसमे शामिल होती है ! हमें देखने को मिलता है की चेक बाउंस के मामले में तीन पार्टीज़ शामिल होती है:
एनआई अधिनियम 1881 की धारा 138, चेक बाउंस होने पर कानूनी कार्रवाई करने में मदद करती है। इस धारा में यह कहा गया है की अगर आपको दिया हुआ चेक बाउंस हो जाता है तो आप उस चेक की रकम को वसूलने के लिए चेक देने वाले को कुछ दिनों का समय दे सकते हो अगर वह आपको कुछ दिनों के अंदर चेक के पैसे नहीं देता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हो।
अगर आपको दिया हुआ चेक बाउंस हो जाता है तो आप भारतीय विनियम स्वीकृति अधिनियम 1881 के तहत धारा 138 इस्तेमाल कर सकते है। धारा 138 तब लगायी जाती है जब आपको दिया गया चेक बाउंस हो जाता है और आपको उसके पैसे वापिस नहीं मिलते है। अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है तो आप 30 दिनों के अंदर उस व्यक्ति को एक नोटिस भेज सकते है जिसने आपको यह चेक दिया था और नोटिस में चेक की रकम को चुकाने के लिए 15 दिनों का समय दे सकते है या फिर एक नया चेक भेजने के लिए कह सकते है। अगर वह व्यक्ति 15 दिनों के अंदर आपके भेजे हुए नोटिस का जवाब नहीं देता है तो आप उसके खिलाफ शिकाय भी दर्ज कर सकते हो।
अगर आपने किसी को चेक दिया है या फिर किसी से चेक लिया है और वह चेक बाउंस हो गया है तो चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते है :
यह कुछ कारण है जिनकी वजह से चेक बाउंस हो सकता है, इसीलिए चेक को भरते समय इन सभी बातो का ध्यान रखें।
अगर आपको दिया हुआ चेक बाउंस हो जाता है तो कई कदम उठा सकते हो :
अगर कोई व्यक्ति आपको चेक देता है और वह चेक बैंक में जाकर बाउंस हो जाता है तो आपको चेक बाउंस होने के 30 दिनों के अंदर उस व्यक्ति को सबसे पहले एक नोटिस जारी करना होता है। अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है तो आपको कानूनी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।
चेक बाउंस नोटिस में आपको सबसे पहले चेक का नंबर, चेक की रकम, चेक बाउंस का क्या कारण है, यह सब बातें लिखनी है। इसके बाद आप नोटिस को डाक के जरिये भेज दीजिये और उसकी रसीद रख ले।
अगर चेक देने वाला व्यक्ति नोटिस का जवाब 15 दिनों के अंदर नहीं देता है तो आप उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं और उस अदालत में बुलवा सकते हैं।
अगर आप भी चेक का इस्तेमाल पेमेंट करने के लिए करते है तो चेक के यह नियम आपको पता होने चाहिए :
आपके पास एनआई अधिनियम 1881 की धारा 138 के अलावा भी आप IPC ( Indian Penal Code ) 406 और 420 के अंतर्गत उस व्यक्ति क्वे खिलाफ चेक बाउंस का केस दर्ज कर सकते है :
धारा 406: अगर कोई आपके व्यक्तिगत विश्वास को तोड़ता है और आपको बहुत बड़ा धोखा देता है, तो आप उसके खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं और उसे तीन साल की सजा और जुरमाना भी भुगतना पड़ सकता है। या शायद दोनों।
सेक्शन 420: अगर कोई आपको जानबूझकर एक चेक देता है जिसका भुगतान वह नहीं करना चाहता है, तो आप इस धारा के अंतर्गत उसके खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। इसके अंतर्गत उसको 7 साल तक की सजा और जुरमाना भी भरना पड़ सकता है। ये फिर यह दोनी हो सकते है।
चेक बाउंस का मामला बहुत गंभीर हो जाता है अगर इसका हल नहीं निकाला जाए तो यह आपके लिए के गंभीर मुद्दा बन सकता है तो इसीलिए आप जब किसी को चेक के द्वारा भुगतान करें तो चेक को अच्छे से भरे और उसकी पूरी जांच करने के बाद किसी को दे। अगर कोई आपको चेक के द्वारा भुगतान करता है और वह चेक बाउंस हो जाता है तो आप इस लेख के माध्यम से दी गयी जानकारी का सहारा लेकर चेक बाउंस के मुद्दे के लिए आवाज़ उठा सकते है। आशा है की आपको इस लेख में बताई गयी सारी बातें समझ में आयी होंगी।
अगर आपके मन में इस लेख से जुड़ा कोई सवाल आ रहा है तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते है। हमें आपके सवाल का जवाब देने में बहुत ख़ुशी होगी।