Recovery Agent की धमकी से बचाव AHK Tips

Recovery Agent की धमकी से बचाव

Recovery Agent की धमकी से बचाव

Recovery Agent की धमकी से बचाव

Summary

जब किसी व्यक्ति से लोन या क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर नहीं हो पाता हैं, तो बैंक रिकवरी एजेंटों को वसूली के लिए भेजता है। कई बार ये एजेंट कानून की सीमाएं लांघते हुए धमकी, डराना, मानसिक दबाव या अपमानजनक व्यवहार करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में लीगल पैनल एक मजबूत सहारा बनता है।

लीगल पैनल ग्राहक को उसके अधिकारों की जानकारी देता है, रिकवरी एजेंट के खिलाफ कानूनी नोटिस भेजता है, जरूरत पड़ने पर पुलिस या उपभोक्ता फोरम में शिकायत करता है, और बैंक के साथ सेटलमेंट की प्रक्रिया में भी मदद करता है।

इससे न केवल रिकवरी एजेंट की गैरकानूनी हरकतें रुकती हैं, बल्कि व्यक्ति को मानसिक राहत और आत्मविश्वास भी मिलता है। यदि आप रिकवरी एजेंटों की धमकी से परेशान हैं, तो लीगल पैनल की मदद लेकर कानून के दायरे में अपने सम्मान और अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।

परिचय

आज के समय में बहुत से लोग किसी न किसी वजह से लोन या क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में बैंक या वित्तीय संस्थान वसूली के लिए Recovery Agent्स को नियुक्त करते हैं। लेकिन कई बार ये एजेंट्स अपनी सीमा पार कर जाते हैं – फोन पर धमकी देना, बार-बार कॉल करना, घर या ऑफिस आकर बदतमीजी करना, या परिवार वालों को परेशान करना जैसी हरकतें करते हैं। ये सब चीज़ें मानसिक तनाव और डर का माहौल बना देती हैं।

हालांकि आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने Recovery Agent्स के लिए सख्त गाइडलाइन्स बनाई हैं, लेकिन फिर भी बहुत सारे मामलों में नियमों का उल्लंघन होता है। आम आदमी को यह नहीं पता होता हैं कि ऐसे में वो क्या करे, किससे मदद मांगे, और कैसे अपने अधिकारों की रक्षा करे। यहीं पर "लीगल पैनल" या "कानूनी सलाहकार टीम" लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं।

लीगल पैनल में अनुभवी वकील और कानूनी एक्सपर्ट्स होते हैं जो लोन डिफॉल्ट, क्रेडिट कार्ड ड्यूज, और बैंक वसूली जैसे मामलों में स्पेशलिस्ट होते हैं। ये पैनल ग्राहक की पूरी स्थिति को समझते हैं, यह जांचते हैं कि क्या Recovery Agent कानून के अनुसार काम कर रहा है या नहीं, और जरूरत पड़ने पर ग्राहक की ओर से बैंक या एजेंसी को लीगल नोटिस भेजते हैं। इससे Recovery Agentों की धमकियों पर तुरंत लगाम लगती है।

आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि Recovery Agentों की गैर-कानूनी हरकतों से कैसे निपटा जाए, और लीगल पैनल इस पूरी प्रक्रिया में कैसे आपकी ढाल बनते हैं। अगर आप या आपका कोई जानकार Recovery Agent की धमकियों से परेशान है, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है

Recovery Agent कौन होते हैं?

Recovery Agent वे व्यक्ति या एजेंसी होती हैं जिन्हें बैंक या वित्तीय संस्थान (जैसे NBFC) द्वारा नियुक्त किया जाता है, ताकि वे उन ग्राहकों से बकाया लोन या क्रेडिट कार्ड की रकम की वसूली कर सकें जिन्होंने समय पर भुगतान नहीं किया है।

जब कोई व्यक्ति या कंपनी लोन लेती है और समय पर उसकी EMI या पूरी राशि नहीं चुकाती हैं, तो बैंक सबसे पहले खुद उसे नोटिस भेजता है और भुगतान करने की याद दिलाता है। अगर इसके बावजूद भी पैसा वापस नहीं मिलता हैं, तो बैंक या NBFC एक Third Party Recovery Agency यानी Recovery Agent को नियुक्त करते हैं, जो उस उधारी की वसूली का प्रयास करता है।

Recovery Agent's पर RBI के दिशा-निर्देश क्या हैं?

आइए जानते हैं RBI के मुख्य दिशा-निर्देश क्या हैं:

1. अधिकृत एजेंट ही वसूली कर सकते हैं

  • केवल वही Recovery Agent वसूली कर सकते हैं जिन्हें बैंक या NBFC ने लिखित रूप से अधिकृत किया हो।

  • एजेंट को ग्राहक से मिलने पर अपना पहचान पत्र (ID Card) और अधिकृत पत्र (Authorization Letter) दिखाना अनिवार्य है।

2. ग्राहकों की प्राइवेसी का सम्मान

  • Recovery Agent ग्राहक की निजी जानकारी को किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शेयर नहीं कर सकते हैं।

  • Borrower की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले काम, जैसे पड़ोसियों को जानकारी देना, मना है।

3. संपर्क करने का समय सीमित

  • Recovery Agent सुबह 7 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद Borrower से संपर्क नहीं कर सकते हैं।

  • छुट्टियों या खास अवसरों पर बेफिज़ूल के कॉल या विजिट नहीं की जानी चाहिए।

4. डराने-धमकाने पर सख्त रोक

  • एजेंट किसी भी Borrower को गाली-गलौच, धमकी या जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं।

  • शारीरिक या मानसिक दबाव डालना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

5. महिला ग्राहकों के लिए विशेष प्रावधान

  • महिला ग्राहकों से मिलने के लिए महिला एजेंट की व्यवस्था होनी चाहिए या ग्राहक की सहमति जरूरी है।

  • Recovery Agent को महिला ग्राहकों से बात करते समय खास संवेदनशीलता बरतनी चाहिए।

RBI के दिशा-निर्देशों के तहत उधारकर्ताओं के अधिकार क्या हैं

 आइए आसान भाषा में समझते हैं कि इन नियमों के तहत उधारकर्ताओं को कौन-कौन से अधिकार प्राप्त हैं:

1. सम्मान के साथ व्यवहार का अधिकार

  • Borrower को Recovery Agent या बैंक कर्मचारी द्वारा सम्मानजनक व्यवहार पाने का पूरा अधिकार है।

  • डराना, धमकाना, गाली-गलौच या जोर-जबरदस्ती करना कानूनन अपराध है।

  • अगर कोई Recovery Agent दुर्व्यवहार करता है, तो Borrower इसकी शिकायत कर सकता है

2. सीमित समय पर संपर्क का अधिकार

  • Borrower से संपर्क करने का समय सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही निर्धारित है।

  • छुट्टियों या त्योहारों पर बिना अनुमति के संपर्क नहीं किया जा सकता हैं।

  • बार-बार कॉल या मैसेज कर मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता हैं।

3. पहचान जानने का अधिकार

  • Borrower को यह जानने का अधिकार है कि जो व्यक्ति पैसे की वसूली के लिए आया है, वह वाकई में बैंक या NBFC द्वारा अधिकृत है या नहीं।

  • Recovery Agent को अपना ID कार्ड और अधिकृत पत्र (Authorization Letter) दिखाना जरूरी होता है।

4. विवरण और दस्तावेज प्राप्त करने का अधिकार

  • Borrower को अपने लोन, बकाया राशि, दंड शुल्क आदि की पूरी जानकारी और लिखित विवरण मांगने का अधिकार है।

  • कोई भी Recovery Agent मौखिक दबाव नहीं बना सकता; दस्तावेज देने की जिम्मेदारी उसकी है।

5. निजता (Privacy) का अधिकार

  • Borrower की निजी जानकारी (Loan Details, Address, आदि) किसी तीसरे व्यक्ति जैसे पड़ोसी, रिश्तेदार या ऑफिस में शेयर नहीं की जा सकती हैं।

  • Recovery Agent अगर ऐसा करता है, तो यह निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।

Recovery Agent की धमकी से कानूनी रूप से कैसे बचें?

आइए जानते हैं:

1. अपने अधिकारों को जानें (Know Your Rights)

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और उपभोक्ता कानून के तहत हर कर्जदार को मानसिक शांति, गोपनीयता और सम्मान का अधिकार है। Recovery Agent आपकी अनुमति के बिना न तो देर रात कॉल कर सकते हैं, न ही गाली या अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

2. RBI के नियमों के अनुसार शिकायत करें

RBI ने साफ निर्देश दिए हैं:

  • Recovery Agent सुबह 7 बजे से पहले या रात 7 बजे के बाद संपर्क नहीं कर सकते हैं।

  • वे आपको बार-बार कॉल नहीं कर सकते हैं।

  • एजेंट को व्यवहार शालीन रखना होगा।

  • अगर यह नियम टूटते हैं, तो आप सीधे बैंक में लिखित शिकायत कर सकते हैं। बैंक जिम्मेदार है कि एजेंट की हरकतों पर लगाम लगाए।

3. रिकॉर्ड रखें (Proof Collect करें)

अगर आपको कॉल या मैसेज से धमकी दी जा रही है, तो उसका रिकॉर्ड रखें। कॉल रिकॉर्डिंग, स्क्रीनशॉट, मैसेज या वीडियो – ये सब सबूत की तरह इस्तेमाल हो सकते हैं। इससे शिकायत दर्ज करना आसान होगा।

4. पुलिस में शिकायत दर्ज करें (FIR)

अगर मामला गंभीर हो – जैसे धमकी, बदतमीजी, डराने-धमकाने की कोशिश, जबरन घर में घुसना – तो आप अपने नजदीकी थाने में एफआईआर दर्ज कर सकते हैं। IPC की कई धाराएं इस तरह की हरकतों को अपराध मानती हैं, जैसे:

  • धारा 503: धमकी देना

  • धारा 506: आपराधिक डराना

  • धारा 509: महिलाओं की गरिमा का अपमान

5. RBI Ombudsman या Consumer Court में जाएं

अगर बैंक आपकी शिकायत पर ध्यान नहीं देता हैं, तो आप RBI Ombudsman के पास ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, आप उपभोक्ता फोरम (Consumer Court) में मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ केस भी कर सकते हैं।

Recovery Agent की धमकी से बचाव में लीगल पैनल कैसे मदद करते हैं?

नीचे बताया गया है कि लीगल पैनल कैसे मदद करता है:

1. आपके अधिकारों की जानकारी देता है

अधिकतर लोग नहीं जानते कि उनके क्या-क्या कानूनी अधिकार हैं। लीगल पैनल आपको बताता है कि:

  • एजेंट बिना कोर्ट के आदेश के आपकी संपत्ति जब्त नहीं कर सकता हैं।

  • एजेंट आपको बार-बार कॉल नहीं कर सकता हैं या आपके पड़ोसियों को जानकारी नहीं दे सकता हैं।

  • धमकी देना, गाली देना, या डराना कानूनन अपराध है।

2. Recovery Agent के खिलाफ कानूनी नोटिस भेजता है

अगर Recovery Agent आपको धमका रहा है, तो लीगल पैनल उसकी शिकायत लिखित में दर्ज करके उसे कानूनी नोटिस भेजता है। इससे एजेंट डरते हैं और गैरकानूनी गतिविधियां बंद कर देते हैं।

3. पुलिस या कंज़्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाता है

अगर एजेंट का व्यवहार बहुत ज़्यादा आक्रामक हो, तो लीगल पैनल आपकी ओर से पुलिस FIR या उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज करवाता है। इससे Recovery Agent पर सीधा कानूनी दबाव बनता है।

4. बैंक से लीगल बातचीत करता है

कई बार Recovery Agent बैंक की जानकारी के बिना भी ज्यादा वसूली करने लगते हैं। लीगल पैनल सीधे बैंक के लीगल डिपार्टमेंट से बात करता है और आपको बैंक सेटलमेंट की कानूनी प्रक्रिया में मदद देता है।

5. मानसिक राहत और आत्मविश्वास देता है

धमकी भरे कॉल, डराने वाले मैसेज और बार-बार की बदतमीज़ी इंसान को तनाव में डाल देती है। लीगल पैनल आपके साथ खड़ा रहता है और आपको यह विश्वास दिलाता है कि आप अकेले नहीं हैं – और कानून आपके साथ है।

नोट: अगर आप कर्ज के जाल में फँसे हैं और सोच रहे हैं कि इससे कैसे बाहर निकलें, तो आप हमारी लोन सेटलमेंट सेवा का लाभ उठा सकते हैं और अपने कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि लोन सेटलमेंट क्या होता है, तो आप नीचे दिए गए हमारे लोन सेटलमेंट लेख को पढ़ सकते हैं।

Loan Settlement क्या होता हैं? 

यह एक ऐसी वित्तीय प्रक्रिया होती है जिसमें बैंक या वित्तीय संस्था लोन लेने वाले व्यक्ति को पूरी बकाया लोन की राशि को चुकाने के बजाय कम राशि देकर लोन निपटाने का मौका देती है। यह सुविधा उन लोगों के लिए होती है जो किसी कारण से अपना लोन समय पर नहीं चुका पाते हैं और लगातार डिफॉल्ट कर रहे होते हैं। 

सेटलमेंट के तहत बैंक एकमुश्त राशि (लंपसम अमाउंट) पर सहमति बना सकता है, जिससे लोन बंद हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि Loan Settlement करने से आपका CIBIL स्कोर प्रभावित हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में  मुश्किल हो सकती है। इसलिए, इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।

Loan Settlement करने के लिए कौनसे दस्तावेजों की जरुरत होती हैं? 

निम्नलिखित दस्तावेजों की जरुरत होती हैं:

  • आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, या ड्राइविंग लाइसेंस आदि।

  • सैलरी स्लिप, आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट आदि।

  • Loan Settlement लेटर, कर्ज विवरण, भुगतान रसीदें आदि।

  • निवेश के दस्तावेज़, संपत्ति के दस्तावेज़, बीमा पॉलिसी आदि।

Loan Settlement करने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें? 

अगर आप इसे ऑनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान स्टेप्स को फॉलो करें:

बैंक की वेबसाइट या ऐप पर जाएं

  • अपने लोन प्रदाता या बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल ऐप को खोलें।

  • साइन अप करें, अगर पहले से अकाउंट है, तो लॉग इन करें। नहीं तो नया अकाउंट बनाएं।

 कस्टमर सपोर्ट सेक्शन देखें

  • वेबसाइट या ऐप पर 'Customer Support' या 'Contact Us' सेक्शन पर जाएं।

  • यहां आपको "Loan Settlement" से संबंधित विकल्प मिल सकता है, जैसे:

  • लोन से जुड़ी शिकायत दर्ज करना।

  • Loan Settlement के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म।

सेटलमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म भरें

  • "Loan Settlement Request" विकल्प चुनें।

  • मांगी गई जानकारी भरें, जैसे:

  • आपका नाम

  • लोन अकाउंट नंबर

  • ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर

  • कारण (क्यों आप सेटलमेंट करना चाहते हैं, जैसे वित्तीय समस्या या आय में कमी)।

जरूरी दस्तावेजो को अपलोड करें

  • अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति को दिखाने वाले दस्तावेज अपलोड करें, जैसे:

  • इनकम सर्टिफिकेट या सैलरी स्लिप

  • बैंक स्टेटमेंट

  • कोई अन्य प्रमाण जो आपकी समस्या को स्पष्ट करे।

  • सभी दस्तावेज स्कैन करके सही फॉर्मेट में अपलोड करें (PDF या JPEG)।

सबमिट करें और बैंक की तरफ से जवाब आने का इंतजार करें

  • फॉर्म सबमिट करने के बाद, बैंक आपकी रिक्वेस्ट की जांच करेगा।

  • आमतौर पर बैंक 7-10 वर्किंग डेज़ में आपसे संपर्क करता है। वे ईमेल, कॉल, या मैसेज के जरिए सेटलमेंट की जानकारी देंगे।

बैंक के ऑफर को समझें

  • बैंक आपके बकाया राशि का एक हिस्सा माफ करने का प्रस्ताव देगा। इसे ध्यान से पढ़ें।

  • अगर आपको ऑफर स्वीकार है, तो आगे बढ़ें। नहीं तो और बातचीत करें।

भुगतान करें

  • बैंक द्वारा तय की गई सेटलमेंट राशि को ऑनलाइन पेमेंट मोड के जरिए चुकाएं।

  • बैंक आपको पेमेंट का कन्फर्मेशन देगा और आपका लोन खाता बंद कर देगा।

Loan Settlement और Credit Card Loan Settlement में क्या अंतर है?

हालांकि, Loan Settlement और Credit Card Loan Settlement दोनों का उद्देश्य कर्जदार को राहत देना होता है, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी होते हैं।
 

अंतर के बिंदु

Loan Settlement

Credit Card Loan Settlement

प्रकार

किसी भी प्रकार के लोन (पर्सनल, होम, कार, एजुकेशन, आदि) का निपटारा

केवल क्रेडिट कार्ड के बकाया राशि का निपटारा

सेटलमेंट प्रक्रिया

बैंक एकमुश्त राशि को तय करता है, जिसे चुकाने पर लोन सेटल हो जाता है। 

क्रेडिट कार्ड कंपनी एक तय की गई राशि पर समझौता करती है। 

CIBIL स्कोर पर प्रभाव

CIBIL स्कोर 50-100 पॉइंट तक गिर सकता है और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है

CIBIL स्कोर पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है, और नए क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल हो सकता है। 

भविष्य में लोन मिलने की संभावना

होम लोन, कार लोन या अन्य लोन प्राप्त करने में समस्या आ सकती है

क्रेडिट कार्ड कंपनियां कार्ड जारी करने से इनकार कर सकती हैं। 

 

Loan Settlement का CIBIL स्कोर पर कितना असर पड़ता है?

Loan Settlement का आपके CIBIL स्कोर पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब कोई व्यक्ति किसी बैंक या NBFC से लोन लेता है और किसी कारणवश पूरी राशि चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक उसे एक समझौता करने का मौका देता है, जिसे Loan Settlement कहा जाता है।

हालांकि, Loan Settlement और Loan Closure में बहुत बड़ा अंतर होता है। अगर आप अपने लोन की पूरी राशि चुकाकर उसे बंद करते हैं, तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में "Closed" के रूप में दर्ज होता है, जिससे आपका CIBIL स्कोर बेहतर होता है। लेकिन अगर आपने लोन की कुछ राशि बैंक के साथ समझौते के तहत माफ करवा ली है, तो इसे "Settled" के रूप में रिपोर्ट किया जाता है, जो आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है।

Loan Settlement से CIBIL स्कोर पर पड़ने वाले प्रभाव कौनसे हैं?

  • जब बैंक या NBFC CIBIL को रिपोर्ट करता है कि आपका लोन "Settled" है, तो आपका स्कोर तुरंत गिर जाता है। गिरावट कितनी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका पहले का स्कोर कितना अच्छा था।

  • बैंक और फाइनेंशियल संस्थान ऐसे ग्राहकों को "हाई-रिस्क" कैटेगरी में रखते हैं, जिन्होंने अपना लोन सेटल किया है। इसका मतलब यह है कि भविष्य में अगर आप किसी भी प्रकार का लोन (पर्सनल, होम, कार, एजुकेशन) लेने की कोशिश करेंगे, तो आपका आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है।

  • अगर आपने लोन सेटल किया है, तो भविष्य में किसी भी बैंक से क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को देखते हैं और यदि उन्हें "Settled" स्टेटस दिखता है, तो वे आपको क्रेडिट कार्ड देने से इनकार कर सकते हैं।

  • अगर किसी बैंक ने आपको लोन देने का फैसला किया भी, तो आपको बहुत ज्यादा ब्याज दर (High Interest Rate) पर लोन मिल सकता है। यह इसलिए क्योंकि बैंक आपको जोखिम भरा ग्राहक मानते हैं और अपने पैसे की सुरक्षा के लिए ज्यादा ब्याज दर लगाते हैं।

  • Loan Settlement की जानकारी आपकी CIBIL रिपोर्ट में कम से कम 7 साल तक बनी रहती है। इसका मतलब है कि भले ही आप बाद में अपना वित्तीय व्यवहार सुधार लें, लेकिन आपका सेटलमेंट रिकॉर्ड बैंकों को दिखता रहेगा और आपकी क्रेडिट योग्यता को प्रभावित कर सकता है।

Loan Settlement के बाद CIBIL स्कोर को सुधारने के क्या तरीके हैं?

अगर आपने लोन सेटल कर लिया है और अब CIBIL स्कोर सुधारना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:

  • समय पर सभी लोन और क्रेडिट कार्ड के बिल का पूरा भुगतान करें।

  • अगर संभव हो तो बैंक से संपर्क करके "Settled" स्टेटस को "Closed" में बदलवाने" की कोशिश करें।

  • क्रेडिट कार्ड का सीमित इस्तेमाल करें और समय पर पूरा भुगतान करें।

  • कोई छोटा लोन लें और उसे नियमित रूप से चुकाएं ताकि नया अच्छा क्रेडिट इतिहास बन सके।

  • CIBIL रिपोर्ट को नियमित रूप से चेक करें और किसी भी गलती को सुधारने के लिए CIBIL को अनुरोध दें।

Loan Settlement होने में कितना समय लगता है? 

सेटलमेंट की प्रक्रिया का समय अलग - अलग कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके बैंक या लोन देने वाली संस्था की पॉलिसी, बकाया राशि, और आप दोनों के बीच बातचीत। आमतौर पर यह प्रक्रिया 1 से 3 महीने तक का समय ले सकती है।

सेटलमेंट की प्रक्रिया में सबसे पहला कदम बैंक से बातचीत करना होता है, जहां आप अपनी मुश्किलों और भुगतान की स्थिति के बारें में बैंक को समझाते हैं। इसके बाद, बैंक आपकी स्थिति के आधार पर एक सेटलमेंट का ऑफर देता है। अगर आप उस ऑफर को स्वीकार करते हैं, तो बैंक को तय समय सीमा के भीतर भुगतान करना होता है। फिर बैंक लोन को सेटल के रूप में रिपोर्ट करता है, जो कुछ समय ले सकता है।

इस पूरी प्रक्रिया में जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही आपके CIBIL स्कोर पर प्रभाव डाल सकता है, इसलिए जल्दी से जल्दी समाधान तलाशना बेहतर रहता है।

बैंक से Loan Settlement का लेटर कैसे प्राप्त करें?

अगर आपने किसी बैंक से पर्सनल लोन लिया है और किसी कारणवश उसे पूरी तरह चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो Loan Settlement आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। Loan Settlement का मतलब होता है कि बैंक और उधारकर्ता (लोन लेने वाला व्यक्ति) के बीच एक समझौता होता है, जिसमें बैंक ब्याज या पेनल्टी को कम करके एक निश्चित राशि पर लोन निपटाने के लिए सहमत हो जाता है। जब Loan Settlement पूरा हो जाता है, तो बैंक एक Loan Settlement Letter जारी करता है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि लोनदाता और बैंक के बीच समझौता हुआ है और अब उधारकर्ता पर कोई बकाया नहीं है।

Loan Settlement और Bankruptcy दोनों में क्या अंतर है?

आइए आसान भाषा में इनके बीच का फर्क समझते हैं:

1. परिभाषा (Definition)

  • Loan Settlement (Loan Settlement): यह एक बैंक और कर्जदार के बीच आपसी समझौता होता है। इसमें बैंक यह मान लेता है कि कर्जदार पूरा लोन नहीं चुका सकता है, इसलिए वह तय रकम लेकर बाकी राशि माफ कर देता है।

  • Bankruptcy (दिवालियापन): यह एक कानूनी प्रक्रिया होती है। जब कोई व्यक्ति या संस्था अपनी कुल देनदारियों को चुकाने में असमर्थ होता है, तो वह अदालत में दिवालियापन की अर्जी लगाता है और अदालत तय करती है कि उसकी संपत्ति कैसे बाँटी जाएगी।

2. प्रक्रिया (Process)

  • Loan Settlement: यह एक गैर-कानूनी प्रक्रिया होती है, जो सीधे बैंक और ग्राहक के बीच होती है। इसमें कोई अदालत शामिल नहीं होती हैं।

  • Bankruptcy: यह न्यायिक प्रक्रिया होती है, जिसमें कोर्ट और इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल शामिल होते हैं।

3. कर्ज से छुटकारा (Debt Relief)

  • Loan Settlement: कुछ हिस्सा चुकाने के बाद बाकी लोन माफ हो सकता है, लेकिन CIBIL रिपोर्ट में “Settled” का टैग लगता है।

  • Bankruptcy: कोर्ट फैसला करता है कि कौन-सा कर्ज माफ होगा और कौन नहीं। इससे पूरी तरह कर्ज से छुटकारा मिल सकता है, पर संपत्ति जब्त हो सकती है।

4. CIBIL स्कोर पर असर

  • Loan Settlement: CIBIL स्कोर पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ता है। “Settled का टैग भविष्य में लोन मिलने में बाधा बन सकता है।

  • Bankruptcy: CIBIL स्कोर पूरी तरह गिर जाता है और इसका लम्बा प्रभाव होता है।

5. लागत और समय (Cost & Time)

  • Loan Settlement: यह प्रक्रिया जल्दी पूरी हो जाती है और कानूनी खर्च नहीं होता हैं।

  • Bankruptcy: यह एक लंबी और खर्चीली प्रक्रिया हो सकती है, जिसमें वकीलों और प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है।

Consumer Forum और Ombudsman शिकायत कहाँ पर दर्ज करे?

इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी शिकायत किससे जुड़ी है और आपने पहले क्या प्रयास किए हैं।

Consumer Forum में शिकायत कब दर्ज करें?

अगर आपकी शिकायत किसी भी उत्पाद या सेवा से जुड़ी है, जैसे:

  • खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान मिला हो

  • होटल या ट्रैवल एजेंसी ने वादा पूरा नहीं किया

  • ई-कॉमर्स वेबसाइट ने गलत या डैमेज प्रोडक्ट भेजा

  • मेडिकल सेवा में लापरवाही हुई

  • किसी टेलीकॉम, इंटरनेट या गैस एजेंसी की खराब सेवा से नुकसान हुआ

तो आप Consumer Forum में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

यह फोरम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत चलता है और इसमें शिकायतें तीन स्तरों पर दर्ज होती हैं – जिला, राज्य और राष्ट्रीय।

कैसे दर्ज करें?

  • ऑफलाइन: संबंधित फोरम के कार्यालय में जाकर

  • ऑनलाइन: https://edaakhil.nic.in/ पर जाकर

  • ज़रूरी दस्तावेज़: बिल, रसीद, पहचान पत्र, शिकायत पत्र, ईमेल/मैसेज का रिकॉर्ड आदि

Ombudsman के पास शिकायत कब करें?

अगर आपकी समस्या बैंक, बीमा कंपनी या NBFC (जैसे लोन देने वाली कंपनी) से जुड़ी है, तो पहले आपको उस संस्था की ग्रेवनेंस सेल में शिकायत करनी होगी। अगर 30 दिनों तक कोई हल न निकले या जवाब न मिले, तब आप Ombudsman के पास जा सकते हैं।

उदाहरण:

  • बैंक ने गलत चार्ज काट लिया

  • बीमा कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया

  • एनबीएफसी ने EMI समय से भरने के बाद भी डिफॉल्टर बता दिया

कैसे दर्ज करें?

  • RBI की वेबसाइट: https://cms.rbi.org.in

  • बीमा लोकपाल के लिए: https://www.cioins.co.in

  • शिकायत फ्री होती है, और फैसले कुछ ही हफ्तों में आ जाते हैं।

Loan Settlement करने के फायदे और नुक्सान क्या होते हैं? 

इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान होते हैं:

फायदे 

  • हालांकि Loan Settlement करने से कर्जदार का CIBIL Score प्रभावित हो सकता है, लेकिन समय पर और सही तरीके से समझौते का पालन करने से वह अपने CIBIL Score को धीरे-धीरे सुधार सकता है।

  • Loan Settlement करने से कर्जदार की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।

  • Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार को अपने कर्ज का कुछ हिस्सा माफ करवाने का मौका मिलता है।

  • यह उसकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करता है और उसे भारी वित्तीय बोझ से राहत दिलवाता है।

  • Loan Settlement करने से आप अपनी आय और लागत को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं और भविष्य में वित्तीय संकट से बच सकते हैं।

  • कर्ज का भारी बोझ अक्सर मानसिक तनाव का कारण बनता है। Loan Settlement से कर्जदार को इस तनाव से राहत मिलती है और वह अपने जीवन में मानसिक शांति पा सकता है।

नुक्सान 

  • Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार  का पूरा लोन माफ नहीं होता है। उसे अभी भी कुछ राशि का भुगतान करना होता है, जो उसकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

  • Loan Settlement के दौरान, बैंक और कर्जदार  के बीच जो समझौता होता है, उसमें कई शर्तें होती हैं। कर्जदार  को इन शर्तों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे उसकी स्वतंत्रता सीमित हो सकती है।

  • Loan Settlement के कारण, कर्जदार के बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।

  • भविष्य में, कर्जदार को इन संस्थानों से कर्ज प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।

  • Loan Settlement के बाद, कर्जदार का CIBIL Score प्रभावित हो सकता है।

  • Loan Settlement भविष्य में नए कर्ज लेने या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है।

IBC Code 2016 और लोन सेटलमेंट के बीच में क्या कनेक्शन है?

आइए आसान शब्दों में समझते हैं।

लोन सेटलमेंट क्या है?

जब कोई व्यक्ति या कंपनी बैंक का पूरा लोन चुकाने में असमर्थ हो जाती है, तो बैंक उसके साथ एक समझौता (Settlement) करता है। इसमें:

  • मूल रकम या ब्याज का कुछ हिस्सा माफ किया जाता है

  • ग्राहक को एकमुश्त रकम या आसान किश्तों में भुगतान करने का विकल्प दिया जाता है

  • यह समाधान आमतौर पर बैंक और ग्राहक के बीच आपसी सहमति से होता है

IBC Code क्या करता है?

IBC Code 2016 के तहत, जब कोई डिफॉल्टर (Loan Defaulter) समय पर कर्ज नहीं चुका पाता हैं, तो बैंक या कर्जदाता उस पर IBC प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इसमें:

  • कंपनी या व्यक्ति को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया होती है

  • एक Resolution Professional नियुक्त होता है

  • कंपनी की संपत्ति को बेचकर कर्ज चुकाने का रास्ता ढूंढा जाता है

  • पूरा प्रोसेस अधिकतम 270 दिनों में पूरा किया जाता है

IBC और लोन सेटलमेंट में संबंध कैसे है?

अब बात करते हैं असली कनेक्शन की:

a. समाधान की प्रक्रिया का हिस्सा:

IBC के तहत जब किसी डिफॉल्टर के खिलाफ कार्यवाही होती है, तो कई बार उसका समाधान एक Settlement Plan के रूप में निकलता है। इसमें बैंकों को तय रकम मिलती है, और कंपनी को शेष कर्ज से राहत मिलती है। यह एक तरह का लोन सेटलमेंट ही होता है — परंतु यह कानूनी रूप से नियंत्रित और NCLT द्वारा स्वीकृत होता है।

b. दबाव बनाने का माध्यम:

जब कोई व्यक्ति या कंपनी लोन नहीं चुकाती हैं, तो बैंक IBC की प्रक्रिया शुरू करने की धमकी देकर सेटलमेंट पर बातचीत करते हैं। इससे डिफॉल्टर बातचीत करने और सेटलमेंट करने के लिए मजबूर हो जाता है।

c. सुरक्षित रास्ता:

IBC के माध्यम से किया गया लोन सेटलमेंट अधिक पारदर्शी, न्यायिक और समयबद्ध होता है। इससे बैंकों को भरोसेमंद वसूली और डिफॉल्टर को कानूनी राहत मिलती है।

NPA घोषित हो चुके लोन को कैसे सेटल करें?

नीचे हम विस्तार से जानेंगे कि यह कैसे किया जा सकता है।

1. सबसे पहले बैंक से संपर्क करें

  • जब लोन को NPA घोषित कर दिया जाता है, तो borrower को सबसे पहले अपने बैंक या फाइनेंशियल संस्था से सीधा संपर्क करना चाहिए।

  • डरने की जगह बातचीत करें।

  • बैंक को अपनी आर्थिक स्थिति के बारें में बताएं।

  • बताएं कि आप लोन चुकाना चाहते हैं लेकिन मौजूदा हालात में पूरा भुगतान नहीं कर सकते हैं।

2. OTS (One-Time Settlement) का प्रस्ताव मांगे

  • बैंक अकसर NPA खातों के लिए OTS स्कीम लाते हैं, जिसमें

  • कुछ राशि माफ कर दी जाती है,

  • बाकी रकम एकमुश्त या किश्तों में चुकानी होती है।

3. सेटलमेंट की डील को लिखित में लें (Settlement Letter/NOC)

  • अगर बैंक आपके सेटलमेंट प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है, तो:

  • उनसे लिखित समझौता पत्र (Settlement Letter) लें

  • भुगतान पूरा करने के बाद NOC (No Objection Certificate) लेना बिल्कुल न भूलें।

  • यह भविष्य में आपके लिए सबूत का काम करेगा।

4. CIBIL स्कोर पर असर को समझें

  • NPA लोन का सेटलमेंट आपके CIBIL स्कोर पर असर डालता है।

  • आपका स्कोर कुछ समय के लिए गिर सकता है।

  • लेकिन समय पर अन्य बिल/क्रेडिट कार्ड/EMI चुकाने से आप स्कोर को फिर से सुधार सकते हैं।

5. भविष्य में पुनः डिफॉल्ट से बचें

  • फाइनेंशियल प्लानिंग करें

  • ज़रूरत के हिसाब से ही लोन ले

  • समय पर किश्त चुकाएं

  • बजट बनाकर खर्च करें

निष्कर्ष

वित्तीय संकट का सामना करना किसी भी व्यक्ति के लिए एक मुश्किल दौर होता है, और इस दौरान अगर रिकवरी एजेंटों की ओर से धमकियां, डराने-धमकाने वाली भाषा या अपमानजनक व्यवहार झेलना पड़े, तो यह स्थिति और भी तनावपूर्ण बन जाती है। हालांकि कानून ने हरएक कर्जदार को उनके अधिकार दिए हैं और आरबीआई ने भी रिकवरी प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए हैं, लेकिन अधिकतर लोग इन नियमों और अपने अधिकारों से अनजान होते हैं। ऐसे में लीगल पैनल एक सशक्त सहारा बनकर सामने आता है।

लीगल पैनल केवल कानूनी सलाह देने तक सीमित नहीं रहता हैं, बल्कि यह आपकी पूरी स्थिति को समझते हुए, रिकवरी एजेंट की गतिविधियों की जांच करता है और आवश्यकता पड़ने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करता है। इससे न सिर्फ अवैध वसूली गतिविधियों पर रोक लगती है, बल्कि आपको मानसिक शांति और आत्मसम्मान की भावना भी मिलती है। साथ ही, लीगल पैनल लोन सेटलमेंट की कानूनी प्रक्रिया में भी मार्गदर्शन देता है, जिससे आप बिना किसी डर या तनाव के बैंक से सही समाधान प्राप्त कर सकें।

इसलिए, अगर आप या आपका कोई जानकार रिकवरी एजेंट की धमकियों से परेशान है, तो चुप रहने की बजाय कानूनी सहायता लेना एक समझदारी भरा कदम है। लीगल पैनल आपकी रक्षा करता है, आपको जागरूक बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि आपके साथ कोई अन्याय न हो। याद रखें – कानून आपके साथ है, बस जरूरत है सही सलाह और सही कदम उठाने की।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)

Que: OTS (One Time Settlement) स्कीम क्या है?

Ans: OTS एक ऐसी योजना होती है जिसमें बैंक उधारकर्ता को एक निश्चित राशि एकमुश्त (या निर्धारित किश्तों में) चुकाकर लोन से मुक्त होने का मौका देता है। इसमें कुछ ब्याज या मूलधन माफ किया जा सकता है।

Que: NPA क्या होता है?

Ans: NPA का मतलब होता है Non-Performing Asset, यानी ऐसा लोन जिसकी EMI या ब्याज की किश्तें 90 दिनों (3 महीने) से ज्यादा समय तक नहीं चुकाई गई हैं। ऐसे लोन को बैंक "बुरा लोन" मानते हैं और NPA घोषित कर देते हैं।

Que: क्या NPA घोषित होने के बाद भी लोन चुकाया जा सकता है?

Ans: हां, NPA घोषित होने के बाद भी लोन चुकाया जा सकता है। इसके लिए आप बैंक से संपर्क कर One Time Settlement (OTS) या किश्तो में भुगतान करने की व्यवस्था कर सकते हैं।

Que: Loan Settlement और लोन रिपेमेंट में क्या अंतर है?

Ans: लोन रिपेमेंट का मतलब है पूरे लोन और ब्याज की तय रकम समय पर चुकाना। Loan Settlement का मतलब है कि बैंक कुछ राशि माफ कर देता है और बाकी रकम लेकर खाता बंद कर देता है।

Que: क्या Loan Settlement करने से CIBIL स्कोर पर असर पड़ता है?

Ans: हां, Loan Settlement को CIBIL रिपोर्ट में “Settled” के रूप में दिखाया जाता है, जो भविष्य में आपकी क्रेडिट योग्यता को प्रभावित कर सकता है। इससे स्कोर घट सकता है।

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